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 हेलो दोस्तों कैसे हैं, आप लोग मेरा नाम रवि है |  मैं आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताऊंगा जिन्होंने अपने घरेलू दौड़ प्रतियोगिता में जी जान से दौड़कर जमैका एथलीट हुसैन  बोल्ट का रिकॉर्ड ना चाहते हुए भी तोड़ दिया।

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पूरा नाम-श्रीनिवास गौड़ा | 

उपनाम-श्रीनिवास | 

srinivas gowda age:-

उम्र-29 वर्ष वर्तमान 2021| 

भूमिका-भारतीय  जोकि (भैंसा रेसर)खिलाड़ी | 

जन्मतिथि-1 दिसंबर 1991| 

जन्म स्थान-  मुद बिंद्री ,मंगलौर, कर्नाटका {भारत} | 

उपाधि-इंडियन बोल्ट | 

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सर्वश्रेष्ठ परिणाम-142 मीटर 13.62 सेकंड

संस्था-प्राथमिक विद्यालय मुद बिंद्री, कर्नाटका {भारत}

योग्यता-दसवीं कक्षा उत्तीर्ण ।

कद-5 फुट 7 इंच | 

वजन-70 किलोग्राम ।

आंखों का रंग-नीला 

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नया विश्व रिकॉर्ड-100 मीटर  8.96 सेकंड।

पिता का नाम-श्रीमान डोंम्भया (कुली का कार्य करते हैं)

माता का नाम-श्रीमती लता गिरिजा (ग्रहणी)

स्थिति-अविवाहित।

राशि-कुंभ

धर्म-हिंदू

राष्ट्रीयता -भारतीय नागरिक

पसंदीदा भोजन-नॉनवेज

पसंदीदा खिलाड़ी-मिल्खा सिंह (पूर्व भारतीय एथलीट)

पसंदीदा खेल-जोकि (भैंसा रेस)

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तो आइए दोस्तों जानते हैं कि कर्नाटका के एक छोटे से गांव में रहने वाले श्रीनिवास का आज इस मुकाम तक पहुंचने में किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा उनके बारे में विस्तार से जानेंगे।

श्रीनिवास कर्नाटका भारत के मंगलौर के 1 गांव में 1 दिसंबर  1991 को गरीब कुली (भार ढोने वाले) के घर जन्मे ।

श्रीनिवास ने बचपन से ही तय कर लिया कि वह बड़ा होकर एक भैंसा रेसर बनेगा।

 लेकिन श्रीनिवास के  पिता ने पढ़ाने के लिए दिन- रात  कड़ी मेहनत मजदूरी की।

परंतु श्रीनिवास अपने पिता की बात को कुछ दिन ध्यान में रखने के बाद नजर अंदाज कर दिया।

इसी बीच श्रीनिवास की माता जी का स्वर्गवास हो गया।

जिसके कारण श्रीनिवास को बहुत दुख हुआ।

इस घटना के कारण श्रीनिवास  काफी दिनों तक सदमे में  भी रहे।

लेकिन बाद में श्रीनिवास ने अपने आप  को बड़ी मुश्किल से संभाला।

अब श्रीनिवास ने अपना सारा ध्यान जोकि खिलाड़ी बनने में ही लगा दिया।

श्रीनिवास ने सोचा कि यदि मैं इस वर्ष पढ़ लूंगा तो मेरी सारी जोकि खिलाड़ी बनने की योजना विफल हो जाएगी।

इस भय से श्रीनिवास में कक्षा 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद अपने जीवन का आकर्षण केंद्र  बिंदु -अपना लक्ष्य  केवल जो कि खिलाड़ी में प्रथम प्रतिभागी बनने का रखा ।

श्रीनिवास ने कंबाला प्रतियोगिता आयोजित होने वाले वर्ष से पहले ही ।

रेसर बनने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत के साथ साथ अपने पिता का भी सहयोग दिया।

अपनी दौड़ा क्षमता को काफी हद तक सुधार लिया कई बारी  चोट भी लगी पर श्रीनिवास गौड़ा ने कभी हार नहीं मानी।

अब प्रतियोगिता का प्रारंभ होने वाले वर्ष श्रीनिवास ने अपनी दिनचर्या में काफी सुधार किया।

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जिसके परिणाम स्वरुप कंबाला प्रतियोगिता एक पिक्चर से भरे खेत में आयोजित की गई जिसमें श्रीनिवास ने  भैंसों के साथ भाग कर अपना अलग ही विश्व रिकॉर्ड बना दिया

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श्रीनिवास ने यह 142 मीटर की दौड़ लगभग 13.96 सेकंड में संपूर्ण कर दी।

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श्रीनिवास के इस  चमत्कारी प्रदर्शन के कारण जमैका धावक हुसैन बोल्ट के 100 मीटर रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया |  

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जब इस बेहतरीन प्रदर्शन की सूचना भारतीय खेल प्राधिकरण को मिली तो खेल मंत्री किरण रिज्जु ने श्रीनिवास जी को ओलंपिक में  खेलने के लिए तैयारी करने के लिए आमंत्रित किया।

जिसके परिणाम स्वरूप श्रीनिवास गौड़ा को ₹300000 द्वारा पुरस्कृत किया गया।

श्रीनिवास का इस निर्णय पर तर्क है कि  कंबाला और ओलंपिक ट्रैक में बहुत अंतर है।

फिलहाल श्रीनिवास ने कहा है कि मैं इसके बारे में कंबाला प्रतियोगिता के बाद सोच विमर्श करूंगा।

श्रीनिवास ने अपनी अपनी  इस सफलता और आज इट्स राष्ट्रीय मंत्र को हासिल करने का श्रेय अपने माता – पिता को दिया।

श्रीनिवास गौड़ा ने अब तक अंबाला जिले की 15  खेल कमेटी से 40 मेडल प्राप्त कर लिए हैं जिसमें से 34 स्वर्ण पदक और 12 सिल्वर पदक प्राप्त कर चूकै हैं | 

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