hanuman jayanti:हनुमान जयंती पर जाने हनुमान जी की भक्ति का रहस्य
आप सभी को हनुमान जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं आज श्री हनुमान जी का दिन है आज जो भी भगत श्री हनुमान जी को सच्चे दिल से याद करते हैं वह उनकी हर इच्छा को पूरी कर देते हैं और हनुमान जी को संकटमोचक भी कहा गया है श्री हनुमान जी भाव साध्य ,भाव ग्राह्य हैं अष्ट सिद्धि एवँ नव निधियों के स्वामी परम पराक्रमी जन जन के आराध्य देव राम भक्त हनुमान जी का मंगलमयी रूप है हनुमान जी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परम भक्त थे श्री राम और हनुमान जी की जोड़ी थी उनके अंदर जो गुरु और शिष्य का जो प्रेम था वह अपने आप में एक बात थी भगवान श्री राम के अनन्य भगत हनुमान जी हमेशा श्रीराम को अपने अंतर्गत में उनका ध्यान करते रहते थे उनके मुख पर एक ही नाम होता था जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम। ..
hanuman jayanti: प्रेम भाव का निष्काम सेवा भक्ति समर्पण
देखिए आज के समय में हर कोई व्यक्ति हनुमान जी का भगत है हनुमान जी को मानता है हनुमान जी की पूजा करता है और जिसके लिए आज उनके भक्तों के लिए अनोखा दिन होता हैं हनुमान जयंती सभी अपने अपने तरीके से और धार्मिक शास्त्रों में बताया हुए तरीके से भगवान हनुमान जी की पूजा करते हैं हम को मानते हैं और अपने जीवन में उन के अध्यक्षों को धारण करते हैं पर क्या ऐसे तरीके हैं जिनको हम अपने जीवन में अपनाकर भगत हनुमान अपनाते हनुमान जी के गुण हमारे अंदर आ जाए उन्होंने ऐसी कौन सी भक्ति की गई जिससे कि उन्होंने अपने गुरु अपने श्री राम जी को प्रसन्न कर लिया और उनके हृदय में निवास करने लगे आज हनुमान जयंती के अवसर पर हम इन सब बातों को जानेंगे और यह भी जानेंगे कि वह कौन सी भक्ति है जिसे भगत जिसे भगवान जिसे हनुमान जी लेकर अपने श्री राम को पाया और हम भी ऐसी भक्ति कर कर अपने इष्ट देव को अपने लक्ष्य को पा सकते हैं या फिर हम जिस की भक्ति करते हैं उनकी उनको हम अपने जीवन पा सकते हैं
हनुमान जी श्री राम शिष्य थे जब भगवान राम इस धरती पर आए थे तो वह अपने साथ एक लक्ष्य लेकर आए थे उस समय धरती पर जो राक्षस थे उन्होंने आतंक मचाया हुआ था शांति के लिए ही भगवान श्री रामचंद्र जी ने अवतार लिया था उसमें उनको काफी कठिनाइयां आई जबकि वह भगवान थे तब भी उनको कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और आगे चलकर उनकी भेट वानर सेना से हुई वानर सेना में जो उनके जो जोधा थे हनुमान जी सुग्रीव जी जो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानते थे ये सब उनके शक्तिशाली थे रामचंद्र जी की जो भक्ति थी उन्होंने हनुमान जी को दी हुई थी हनुमान जी में इतनी शक्ति थी कि उन्होंने पहाड़ को उठा दिया और लक्ष्मण जी जब मुर्छित हो गए थे तो उनको उनके लिए संजीवनी बुटी लानी थी पहाड़ को उठाकर ले आए तो आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हनुमान जी अपने भगवान श्री राम की भक्ति के प्रति कितने दृढ़ थे वह एक भी मौका नहीं छोड़ते थे कि जब जब भी भगवान श्रीराम उनको कोई आज्ञा लगाते तो वह उसे पल भर में पूरी कर देते थे
जो हनुमान जी को शक्ति मिली थी वह भगवान की कृपा से ही मिली थी उसको कि जो भगवान होते हैं श्री रामचंद्र जी वह पूर्ण थी समृद्धि उन्होंने तीनों लोकों को नौ खंडों को अपने हाथ में किया होता है सब उनकी रचना होती है भगवान इतनी शक्ति होती है कि अपने भक्तों को अपने समान कर लेते हैं भगवान ने उस काल को बस में किया होता है ग्रंथो में लिखा हुआ है ” पांच दुष्ट जिन वश किते की काल तनतक मारिया ” वह भगवान अपनी कृपा थी हनुमान जी को अपने जैसा ही बना लिया इतनी शक्ति उसमें उसने हमारे पर्वत को उठा कर ले आए | भगवान होते हैं उन्होंने दीन दुनिया सबको बस ने किया होता है सब दुनिया को वह अपने अनुसार चलाते हैं जैसे हनुमान जी में इतनी शक्ति भर दी कि वह लंका रावण का घर जला कर आ गए |
hanuman jayanti :हनुमान जी का भक्ति करने का तरीका
क्योंकि भगवान श्री राम ने जो हनुमान जी को जो भक्ति करने का तरीका बताया था जो मार्ग बताया था उसको भगवान हनुमान जी ने अपने जीवन में धारण करके उसी प्रकार उन्होंने भक्ति की साधनाएं की तप किया तो इस वजह से हनुमान जी के अंदर इतनी चेतना इतनी जागृत इतनी शक्ति आ गई कि वह शक्ति के दम पर कुछ भी कर सकते थे तो एक समय आया और जब उनको कार्यभार सौंपा गया तो वह उस शक्ति का प्रयोग करके लंका में जाकर लंका में जाकर उन्होंने रावण से हाथ जोड़कर पहले उनका धन्यवाद किया रावण को एक संदेश देकर आए कि देख रावण जो तू कार्य कर रहा है यह बिल्कुल अनुचित है यह बिल्कुल गलत है इसका परिणाम तुझे भुगतना पड़ेगा अगर तुम यह कार्य नहीं करता है तो तेरी जान बच सकती है पर उस समय रावण जो था उसको यह बातें समझ नहीं आ रही थी पर हनुमान जी ने अपना जो संदेश था जो कि श्री राम जी का संदेश था वह रावण को पहुंचा दिया था |
hanuman jayanti :हनुमान जी की गुरु भक्ति
आज हमें जानने की जरूरत है कि हनुमान जी ने वह कौन सी भक्ति की थी जिससे कि उन्होंने श्री राम को अपने जीवन में पा लिया था और अपने हृदय मैं श्रीराम को बसा लिया था पर आपको क्या लगता है कि भगवान श्री राम की भक्ति हनुमान जी कैसे करते थे क्या मात्र जय श्री राम का गठन करने से ही उन्होंने श्री राम को पा लिया था या फिर कुछ और किया था तू हम आपको बताना चाहेंगे कि उन्होंने भगवान श्रीराम को मात्र राम नाम का उच्चारण करने से नहीं पाया था उन्होंने भगवान श्रीराम उनके पूर्ण गुरु थे और जो पूर्ण गुरु होते हैं वह अपने भक्तों को एक ऐसा ज्ञान लेते हैं एक ऐसा तत्व ज्ञान देते हैं जिसके द्वारा वह उन्हें जला देते हैं कि मैं क्या हूं कि मैं एक शरीर रूप हूं या फिर कोई सकती हूं इसी प्रक्रिया के दौरान भगवान श्रीराम ने जब उनको यह तत्व ज्ञान प्रदान किया था तो उस दौरान हनुमान जी ने उनके विराट रूप के दर्शन किए उनके असली रूप प्रकाश रूप को अपने घट में देखा था क्योंकि भगवान श्री राम के दो समरूप होते हैं एक सरगुन स्वरूप और एक निर्गुण स्वरूप |
hanuman jayanti :श्री राम जी से मिलन
उनके जीवन की एक घटना आती है कि जब श्री राम जी के बचपन में हनुमान जी एक बार उनसे अयोध्या में मिले थे तो हनुमान जी ने श्री राम जी से तत्व ज्ञान को प्राप्त किया और उसी दौरान हनुमानजी और श्री राम का जो यह अनोखा रिश्ता है यह स्थापित हो गया | क्योंकि श्री राम और हनुमान जी के बीच में जो भक्ति का जो रिश्ता था वह कोई स्वार्थ से बड़ा नहीं था वह निस्वार्थ था और भगवान श्री राम से हनुमान जी को कुछ नहीं चाहिए था हनुमान जी हमेशा एक ही प्रार्थना करते थे श्री राम जी से एक ही बात कहते थे कि प्रभु मैं तो आपसे आपको ही मांगना चाहता हूं मुझे और दुनिया का कोई सुख नहीं चाहिए और कोई चीज नहीं चाहिए मैं तो सिर्फ आपके चरणों में रहकर ही आपकी भक्ति करना चाहता हूं तो आप देख सकते हैं कि आज जो हम भक्ति कर रहे हैं क्या हमारी भक्ति हनुमान जी की भक्ति के अनुरूप है या नहीं है यह हमें खुद का अवलोकन करना है |
hanuman jayanti :हनुमान जी खुद बताया मार्ग
जैसे हनुमान जी हमें खुद बता रहे हैं अपनी हनुमान चालीसा में उनकी जो चौपाई है उनके द्वारा वह खुद हमें इशारा कर रहे हैं कि आपको किस तरह की भक्ति करनी है और मैं किस तरह की भक्ति से प्रसन्न होता हूंहनुमान चालीसा में आपने यह लाइन बहुत बार पढ़ी होगी “श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार वरनु रघुबर बिमल जसु जो दायक फल चार ” यहां पर हनुमान जी हमें किस बात की ओर इशारा कर रहे हैं देखिए इस लाइन को आपने बहुत बार पढ़ा भी है और सभी पंडित ज्ञानी लोग इसे अपने अपने ज्ञान के अनुसार इसकी व्याख्या करते हैं पर असल में इन लाइनों का मतलब क्या है
हनुमान जी कहते है की मैं ऐसे गुरु के चरणों में नतमस्तक होता हूं या फिर मैं ऐसे गुरु के चरणों में अपना शीश झुकाता हूं जो मुझे चार तत्वों का ज्ञान करवा दे उस ज्योति को प्रकट कर दें जो हमारे घट में पहले से ही है जो हमारे शरीर में पहले से ही है और यही बात यही बात भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहते हैं कि मैं ज्योति यों की ज्योति हूं और प्रत्येक मनुष्य के शरीर में निवास करता हूंअगर आप मुझे देखना चाहते हो तो आपको एक पूर्ण गुरु की आवश्यकता है और यही बात हनुमान जी भी कह रहे हैं कि मैं भी उस गुरु के चरणों में नतमस्तक होता हूं जो मुझे उस प्रकाश रूपी ज्योति का दर्शन मेरे घट में करवा दें और ग्रंथों में भी लिखा हुआ है आज आपको खुद का स्वयं अवलोकन करना है कि आज जो भक्ति में अपने जीवन में कर रहे हैं क्या उस भक्ति में हमें प्रकाश रूप के दर्शन हुए उन तत्वों की प्राप्ति हुई उन चार तत्वों की प्राप्ति हुई जिनकी बात खुद भगवान हनुमान जी कर रहे हैं
hanuman jayanti : संदेश
तो दोस्तों आज के इस हनुमान जयंती के अवसर पर आपको हम इसी बात की शुभकामनाएं देते हैं उस भक्ति आप भी उस भक्ति से जुड़े औरअपने जीवन में परमात्मा की प्राप्ति करें ऐसे गुरु कि आप भी खोज करें जो कि आपको तत्वज्ञान को आपके घट में प्रकट कर दें पुरुष प्रकाश रूप के दर्शन करवा दे तो आपने भी इस प्रकार के गुरु को अपने जीवन में खोजना है वह पूर्ण गुरु होते हैं और वह इस धरा परयुग युग से इस तरह पर आते हैं जैसे भगवान श्री कृष्णा है भगवान श्री राम आए और अन्य गुरु फकीर भी समय-समय पर इस तरह पर आए उस प्रकार आज भी ऐसे पूर्ण गुरु है जो इस धरा पर है पर आपको खोज करनी है कि वह कौन से हैं जो आपको उस भगवान हनुमान जी की असली भक्ति से जोड़ दें
जो प्रेम – प्रीति से पूर्ण भक्ति है
भाव (प्रेम) बिना भक्ति नहीं होती, भक्ति बिना भाव (प्रेम) नहीं होते | भाव और भक्ति एक ही रूप के दो नाम हैं, क्योंकि दोनों का स्वभाव एक ही है |
शुभ हो मंगल हो
धन्यवाद
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