छठ पूजा 2022 | छठ पूजा | Chhath Puja |Chhat Pooja | छठ पूजा कब है ? |छठ पूजा की पूरी जानकारी

छठ पूजा 2022 छठ पूजा कब है ?
छठ पूजा का इतिहास
छठ पूजा 2022
छठ पूजा 2023 की पूरी जानकारी
छठ पूजा की पूरी जानकारी

छठ पूजा

छठ पूजा या षष्ठी पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता जाने वाला एक हिन्दू पर्व हैं। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों मंे मनाया जाता हैं। कहा जाता हैं यह पर्व मैथिल, मंगध और भोजपुरी लोगांें का सबसे बडा़ पर्व हैं। ये उनकी संस्कृति हैं। छठ पर्व बिहार में बडे़ धुम-धाम से मनाया जाता हैें। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व हैं। जो वैदिक काल से चला आ रहा हैं।

और ये बिहार का संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रूप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परम्परा के अनुसार बिहार मंें यहां पर्व मनाया जाता हैं।

शुरूआत

ऐतिहासिक रूप से, मंुगेर सीता मनपत्थर सीताचरण मंदिर के लिए जाना जाता हैं। जो मुंगेर मंे गंगा के बीच मंे एक शिलाख्ंाड पर स्थित हैं। ऐसा माना जाता हैं। कि माता सीता ने मंुगेर में छठ पर्व मनाया था। इसके बाद ही छठ महापर्व की शुरूआत हुई। इसीलिए मुंगेर और बेगूसराय में छठ महापर्व बडी़ धूमधाम से मनाया जाता हैं।

छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं।

यह पर्व चार दिनों का हैं। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता हैं। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कददू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती हैं। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता हैं। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब 6 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य यानि दूध अपर्ण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढा़ते हैैं।

पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता हैं।, लहसून, प्याज वर्जित होता हैं। जिन घरों मंे यह पूजा होती हैं। वहां भक्तिगीत गाये जाते हैं। अंत मंे लोगों को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।

उत्सव
छठ पूजा 2022

छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरूआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती हैं। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घ्ंाटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते।

छठ पूजा कब है ?
छठ पूजा का इतिहास
छठ पूजा 2022
छठ पूजा 2023 की पूरी जानकारी
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छठ पूजा

छठ पूजा या षष्ठी पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता जाने वाला एक हिन्दू पर्व हैं। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों मंे मनाया जाता हैं। कहा जाता हैं यह पर्व मैथिल, मंगध और भोजपुरी लोगांें का सबसे बडा़ पर्व हैं। ये उनकी संस्कृति हैं। छठ पर्व बिहार में बडे़ धुम-धाम से मनाया जाता हैें। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व हैं। जो वैदिक काल से चला आ रहा हैं।

और ये बिहार का संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रूप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परम्परा के अनुसार बिहार मंें यहां पर्व मनाया जाता हैं।

छठ पूजा

छठ पूजा या षष्ठी पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता जाने वाला एक हिन्दू पर्व हैं। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों मंे मनाया जाता हैं। कहा जाता हैं यह पर्व मैथिल, मंगध और भोजपुरी लोगांें का सबसे बडा़ पर्व हैं। ये उनकी संस्कृति हैं। छठ पर्व बिहार में बडे़ धुम-धाम से मनाया जाता हैें। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व हैं। जो वैदिक काल से चला आ रहा हैं।

और ये बिहार का संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रूप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परम्परा के अनुसार बिहार मंें यहां पर्व मनाया जाता हैं।

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