नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय हिंदी में !!भाला फेंक एथलीट !!गोल्ड मेडलिस्ट ओलंपिक्स 2021!! NEERAJ CHOPRA BIOGRAPHY IN HINDI
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पूरा नाम-नीरज चोपड़ा
उपनाम-नीरज
उम्र-23 वर्ष वर्तमान
जन्मतिथि-24 दिसंबर 1997
जन्म स्थान-पानीपत हरियाणा {भारत}
भारतीय खिलाड़ी-एथलीट
भूमिका- भाला फेंकने वाले
कार्य-भारतीय सेना
पद-सूबेदार (रिसालदार)
कार्यकाल-2016 से वर्तमान
सेवा संख्या-(JC-47186A)
सेना में संघ-राजपूताना राइफल्स
सेना में पुरस्कार-विशिष्ट सेवा मेडल (पदक)
घरेलू टीम -राज्य टीम हरियाणा
अंतरराष्ट्रीय टीम-भारत
संस्था-डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ हरियाणा (भारत)
योग्यता-स्नातक
ओलंपिक खेल-जैवलिन थ्रो (भाला फेंक)
ओलंपिक में रैंक (स्थान)-विश्व में दूसरा
सर्वश्रेष्ठ परिणाम -88. 07 मीटर
खेल ट्रैक-फील्ड
कद-178 सेंटीमीटर (6 फुट)
वजन -86 किलोग्राम
राशि-वृश्चिक
धर्म-हिंदू
राष्ट्रीयता-भारतीय
स्थिति-अविवाहित
पसंदीदा खेल-फुटबॉल
पसंदीदा आदत-यात्रा करना, देश सेवा।
पसंदीदा खिलाड़ी-क्रिस्टीयानो रोनाल्डो (अंतर्राष्ट्रीय पुर्तगाल फुटबॉलर)
प्रथम कोच का नाम-जयवीर चौधरी (भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) एथलीट हरियाणा
अंतर्राष्ट्रीय कोच-उवे होने(पूर्व भारतीय भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) एथलीट)
पिता का नाम-श्रीमान सतीश कुमार (किसान)
माता का नाम-श्रीमती सरोज देवी (ग्रहणी)
बहन का नाम-नैंसी चोपड़ा (धावक)
भाई का नाम-विपुल चोपड़ा
तो आइए दोस्तों जानते हैं कि नीरज ने अपने जीवन में किन-किन चुनौतियों का सामना करके आज इस मुकाम को हासिल किया और हमारे देश भारत को टोक्यो 2020 ओलंपिक में स्वर्ण पदक भी जताया।
दोस्तों नीरज का जन्म 24 दिसंबर 1997 को (भारत) हरियाणा राज्य में जिले पानीपत के खंडरा नामक गांव में एक गरीब किसान के घर हुआ।
नीरज ने 11 साल की उम्र में ही जैवलिन थ्रो करना शुरू कर दिया। इससे पहले बचपन से नीरज का सपना था कि वह एक फुटबॉलर बनेगा। लेकिन अपने भारी भरकम शरीर के साथ फुटबॉल खेलना बहुत मुश्किल था। इसलिए नीरज ने फुटबॉलर बनने का सपना त्याग दिया।
जब नीरज अपने गांव स्कूल में पढ़ने जाते तो वहां के स्थानीय बच्चे नीरज को मोटा-मोटा कहकर चिढ़ाते रहते
जब यह बात नीरज ने अपने पिताजी को बताया तो नीरज के पिता ने निर्णय लिया कि नीरज को व्यामशाला में भेजा जाए। क्योंकि व्यायाम और कसरत से नीरज का वजन कम हो जाएं। इसी के चलते नीरज के पिता श्रीमान सतीश कुमार जी ने नीरज को मदलोडा के एक व्यामशाला में दाखिला दिलाया। कुछ महीनों तक मदलोडा मैं रहने के बाद नीरज ने पानीपत ( हरियाणा) की व्यायाम शाला में दाखिला लिया।
यहां पानीपत में आकर नीरज ने पास के स्टेडियम (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में भी गए।
यहां 2010 में नीरज की मुलाकात है जय वीर चौधरी से हुई नीरज ने जयवीर Choudhary को भाला फेंकते देखा तो नीरज बहुत खुश हुए। नीरज के मन में भी भाला फेंकने की इच्छा जागृत हुई।नीरज ने भाला (जेवलिन) लिया और जयवीर चौधरी की नकल करते हुए फेंक दिया।
लेकिन नीरज ने बिना तैयारी के भी (भाले)जैवलिन को 40 मीटर दूर तक प्रथम प्रयास में ही फेंक दिया।
यह देख कर जय वीर चौधरी नीरज से बहुत प्रभावित हुए क्योंकि बिना प्रशिक्षण जैवलिन थ्रो करना बहुत ही मुश्किल कार्य था।
जयवीर ने नीरज की प्रतिभा को पहचाना । और नीरज को जैवलिन थ्रो करने के लिए तैयारी करवानी शुरू कर दी। जयवीर चौधरी नीरज के जीवन में पहले कोच बने।
1 साल तक कड़ी प्रैक्टिस करने के बाद जयवीर चौधरी ने नीरज को ताऊ देवीलाल खेल परिसर में दाखिला लेने के लिए भेज दिया।
13 वर्ष की आयु में ही नीरज ने अपने गांव से पंचकूला हरियाणा में ताऊ देवीलाल खेल परिसर में दाखिला ले लिया।
यह खेल परिसर भारत के हरियाणा राज्य में केवल दो ही सिंथेटिक रनवे में से एक था।
यहां नीरज की मुलाकात नसीम अहमद नाम के कोच से हुई,नीरज ने अपने कोच की बातों को ध्यान से एकाग्र मन से सुना और भाला फेंकने की तकनीक में आ रही कमी को भी सुधारा।
नीरज के कोच वसीम अहमद ने नीरज को भाला फेंकने के साथ-साथ लंबी दौड़ के लिए भी तैयारी शुरू करवा दी।
यहां नीरज ने सामान्य तरीके से भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने के बाद 55 मीटर तक का लक्ष्य हासिल किया।
लेकिन नीरज ने कभी हार नहीं मानी दिन रात कड़ी मेहनत कर के अपनी भाला (जैवलिन) फेंकने कि क्षमता को और अधिक बढ़ा लिया।
इसके परिणाम स्वरूप 23 अगस्त 2012 को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज ने 68. 40 मीटर तक भाला (जैवलिन) फेंककर एक नए राष्ट्रीय भाला फेंक रिकॉर्ड का निर्माण करने के साथ ही स्वर्ण पदक भी जीता।
इसके बाद नीरज ने अपने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की शाखा का निर्माण कर के आगे बढ़ते चले आए।
अपने राज्य में स्वर्ण पदक जीतने के बाद नीरज ने एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ाया।
यहां नीरज की मुलाकात अंतरराष्ट्रीय कोच-गेरी डेल्टर्ट , डेनियल उवे होने से हुई।
इसके बाद नीरज ने 2014 में यूक्रेन बैंकॉक (विदेश) जागरण वहां आयोजित हुए विश्व युवा चैंपियनशिप में भाग लेकर। युवा ओलंपिक योग्यता में पहला रजत (ब्रोंज मेडल) पदक जीता।
2015 में नीरज ने विश्व के वरिष्ठ नागरिकों में 70 मीटर से अधिक भाला (जैवलिन) फेंककर रिकॉर्ड अपने नाम किया।
इसी वर्ष 2015 में नीरज ने कड़ी मेहनत और लगन से तैयारी करने के बाद अखिल भारतीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय एथलेटिक में 81.04 मीटर का लक्ष्य हासिल करके जूनियर वर्ग में विश्व रिकॉर्ड कायम किया।
यह नीरज के जीवन में 80 मीटर से अधिक का सर्वप्रथम लक्ष्य रहा।
नीरज को इस क्षमता के कारण 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर तैयारी करने के लिए शिविर में बुलाया गया।
यहां कैंप में कड़ी मेहनत से तैयारी करने के बाद नीरज को पंचकूला से आगे तैयारी करने लिए नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में भेजा गया।
अब यहां के कोच से नीरज ने प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।
2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में नीरज ने भाग लेकर 84.23 मीटर दूरी तक का भाला (जैवलिन) फेंककर प्रथम स्थान पर स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) भी जीता।
यहां नीरज ने भारत के राष्ट्रीय भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) रिकॉर्ड की बराबरी कर ली।
दोस्तों इसके बाद नीरज ने 2016पोलैंड (विदेश) के ब्यडगोस्जकज मैं आयोजित (आई. ए. ए .एफ) विश्व अंडर- 20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर 86.48 मीटर दूरी तक का भाला (जैवलिन थ्रो) फेंक कर जूनियर विश्व रिकॉर्ड रचा ।
नीरज की इस उपलब्धि के कारण नीरज विश्व रिकॉर्ड हासिल करने वाले पहले एथलीट बन गए।
नीरज ने दक्षिण खेलों में भी भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) की सीमा को बढ़ाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड का निर्माण किया।
Neeraj chopra instagram
नीरज ने यहां तक कि एशियाई खेलों में भी अपना दमखम दिखाया हालांकि नीरज का अंडर -20 रिकॉर्ड गत वर्ष से रहे ओलंपिक चैंपियन केशोर्न वॉलकट से आगे निकल गया।
लेकिन नीरज 2016 की ग्रीष्म ऋतु में आयोजित हुए ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे।
क्योंकि ओलंपिक में कटऑफ की दिनांक अंडर -20 चैंपियनशिप से 7 दिन पहले 11 जुलाई को अंतिम थी।
neeraj chopra life quotes in hindi-
“वह कहते हैं, ना कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है”
रियो लीग में 13 अप्रैल 2016 को नई दिल्ली (भारत) में आयोजित फाउंडेशन कप के लिए खेलते हुए नीरज के कंधे में चोट लगने के कारण ए सफलता की ओर रुख करना पड़ा क्योंकि चोट के कारण उनका प्रदर्शन काफी प्रभावित हुआ।
भारतीय सेना में नीरज चोपड़ा की नियुक्ति-
2016 में भारतीय सेना ने नीरज के दक्षिण एशियाई खेलों में प्रदर्शन और भविष्य में उनकी क्षमता से प्रभावित होकर नीरज को नायब सूबेदार के पद पर और राजपूत राइफल में जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में सिधा नियुक्त किया।
आमतौर पर किसी भी एथलीट को यह रैंक (पद) सिधी नहीं दी जाती ।
नीरज को (एनसीओ) के आधार पर गैर कमीशंड अधिकारी के रूप में दी गई।
नीरज ने 2016 के सितंबर में बेंगलुरु भारत के भारतीय प्राधिकरण केंद्र में तैयारी करने के लिए नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान को छोड़ दिया।
नीरज को 2016 के दिसंबर में (जेसीओ)के रूप में नियुक्त किया गया।
इसके बाद भारतीय सेना ने नीरज को आगे प्रशिक्षण जारी रखने के लिए अवकाश प्रदान किया।
अवकाश मिलने के बाद नीरज ने 2017 के एशियाई खेलों एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 85. 23 मीटर दूरी तक का भाला फेंक(जैवलिन थ्रो) करके स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
इसके बाद नीरज ने 2018 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले कर , पुरुषों के समूह में सभी प्रतियोगियों को पछाड़कर 86.47 मीटर दूरी तक का भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके सीजन का सबसे सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड दर्ज किया।
राष्ट्रमंडल खेलों में उन्नति-
इसी उपलब्धि के कारण नीरजभाला फेंक (जैवलिन थ्रो) के राष्ट्रमंडल खेलों में प्रथम भारतीय खिलाड़ी बने।
नीरज ने 2018 में दोहा नामक स्थान पर आयोजित हुए डायमंड नामक के खेल लीग में 87.43 मीटर दूरी तक भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके एक बार फिर राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया (भंजन कर दिया)
2018 के अगस्त में नीरज ने एशियाई खेलों में भाग लेकर अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाया।
2018 में आयोजित एशियाई खेलों में (परेड ऑफ नेशन) के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नीरज ध्वजवाहक भी बने।
एशियाई खेलों में नीरज चोपड़ा का प्रथम स्वर्ण पदक-
23 अगस्त 2018 को भाला फेंक एशियाई खेलों में नीरज ने 88.06 दूरी तक लक्ष्य हासिल करके अपने पुराने वर्ष के रिकॉर्ड को बेहतर करते हुए एक नया रिकॉर्ड बना दिया।
*यह भारत का एशियाई खेलों में पहला स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) भी था।
2018 के इस अवधि काल में नीरज देश के सर्वोत्तम खेल पुरस्कार मेजर ध्यानचंद खेल रतन के लिए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के लिए (एएफआई)
द्वारा बनाए केवल एक मात्र ट्रैक और फील्ड एथलीट रहे।
इस बेहतरीन प्रदर्शन को देखकर 2018 में नीरज को भारत के द्वारा अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया।
इसी के साथ ही नवंबर 2018 के अंत में नीरज को भारतीय सेना द्वारा बारी-बारी से सूबेदार के पद पर है उन्नति के साथ सम्मानित किया गया।
2019 में 3 मई को दोहा में आयोजित हुए विश्व चैंपियनशिप से नीरज को हाथ धोना पड़ा नीरज बहुत निराश हुए क्योंकि नीरज के दाएं हाथ की कोहनी की हड्डी में चोट लग गई और नीरज को सर्जरी के लिए मुंबई जाना पड़ा। लेकिन वह क्या करें किस्मत को कुछ और मंजूर था।
जिस दिन टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई प्रतियोगिताएं आरंभ हुई थी
स्वस्थ होने के बाद नीरज ने पटियाला में ध्यान और पुनर्वास करने के बाद।
विजय नगर में इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में तैयारी की।
इसके बाद नीरज ने जर्मन बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लाउस बार्टोनिटज के तहत तैयारी करने के लिए अफ्रीका की यात्रा की।
16 माह के अंतराल के बाद एक बार फिर नीरज ने जनवरी 2020 में साउथ अफ्रीका के पोर्टजेफस्ट्रुम में एथलेटिक्स सेंट्रल नॉर्थ वेस्ट लीग मीटिंग में 87.86
मीटर दूरी तक का भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में वापसी की।
नीरज के द्वारा 85 मीटर से अधिक दूरी पर भाला फेंकने के कारण टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए अपनी दावेदारी पेश की।
साउथ अफ्रीका के दौरे के बाद नीरज ने आगे तैयारी करने के लिए तुर्की का दौरा किया।
कोविड-19 की समस्याए-
लेकिन मार्च 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के लगातार बढ़ते स्तर को देखकर नीरज को मजबूरी के कारण भारत वापस लौटना पड़ा।
भारत में महामारीऔर लोकडाउन के कारण नीरज को 2020 के अगले वर्ष तक (एन आई एस) पटियाला में तैयारी करनी पड़ी।
2020 के अंत में नीरज ने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ और उड़ीसा राज्य सरकार ने भुवनेश्वर के कलिंग नमक स्टेडियम में तैयारी करने के लिए एक कैंप का आयोजन किया यह नीरज ने राष्ट्रीय भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) टीम की सहायता की।
इस प्रतियोगिता में नीरज ने दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 तक भाग लिया। और प्रतियोगिता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2021 के 4 मार्च को नीरज ने एक बार फिर 88.07 मीटर दूरी तक भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके अपना ही बनाया राष्ट्रीय रिकॉर्ड एक बार फिर तोड़ दिया।
इस लक्ष्य ने नीरज को विश्व स्तर पर तीसरा पद प्रदान किया।
कोविड-19 महामारी के कारण एक बार फिर नीरज को तैयारी करने के लिए स्वीडन जाने का वीजा खारिज कर दिया गया।
विजा दुबारा मंजूर कराने की कई कोशिशों के बाद असफलता मिलने पर नीरज काफी निराश हुए।
लेकिन नीरज ने हार नहीं मानी। नीरज ने युवा मामले और खेल मंत्रालय वह विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद नीरज को अपने कोच के साथ यूरोप का दौरा करने की स्वीकृति मिल गई।
नीरज ने पुर्तगाल जाने से पहले संघरोध के लिए 5 जून 2021 को पेरिस के लिए अनिवार्य उड़ान भरी।
नीरज ने 2021 को अपने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में भाग लेकर 83.18 मीटर दूरी तक का भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके प्रथम स्थान प्राप्त करने के साथ ही स्वर्ण पदक भी दिया गया।
नीरज आगे के प्रशिक्षण के लिए अपने कोच के साथ उप्साला स्वीडन का दौरा करने से पहले लिस्बन में रहे।
जिसे भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा 34.85 लाख (अमेरिकी डॉलर $49,000 की लागत से स्वीकार्य किया गया।
नीरज 22 जून को स्वीडन में आयोजित कॉर्लस्टेड मीट में प्रतिस्पर्धा करने गए, यहां नीरज ने 80.96 मीटर के सब-पेरा थ्रो के साथ प्रथम स्थान पर रहने पर स्वर्ण पदक दिया गया।
इसके बाद नीरज के द्वारा 86.79 मीटर दूरी तक भाला फेंकने (जैवलिन थ्रो) के बावजूद फिनलैंड में कुटओर्टेन खेलों में ब्रोंज मेडल (कांस्य पदक) जीता।
इसका कारण यह है कि कि नीरज ने अपनी इच्छा से अधिक प्रवृत्ति को जिम्मेवार बताया।
क्योंकि नीरज का खुद का भाला (जैवलिन) किसी कारणवश अनुपलब्ध था ।
कुटओर्टेन खेलों में जीत के बाद नीरज ने सि्पर्टजन लिचटाथलेटीक लूजर्न में प्रतिस्पर्धा के लिए ल्युसर्न की यात्रा की
लेकिन नीरज ने थकान के कारण वापस आने का फैसला लिया।
नीरज ने 13 अक्टूबर 2021 को गेटस्टेड (विदेश) में आयोजित डायमंड लिग मैं प्रवेश करने के लिए यूनाइटेड किंगडम के लिए एक वीजा सुरक्षित करवाने का प्रयास किया लेकिन एस बोलता ही प्राप्त हुई।
क्योंकि करुणा महामारी के बढ़ते स्तर के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
लेकिन नीरज ने उप्साला में अपनी तकनीक का प्रशिक्षण लगातार जारी रखा ताकि बाद में भाला फेंकने (जैवलिन थ्रो) के दौरान कोई समस्या पैदा न हो।
दोस्तों इसके बाद नीरज का मैंने तो लक्ष्य के प्रति दोबारा फिर वही जुनून दिखाई दिया जो जुनून नीरज का फुटबॉलर बनने के प्रति रहा।
इसी के चलते नीरज ने अपने सपने की ओर अपना महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया-
नीरज ने 2020 के ग्रीष्मकालीन ऋतु में आयोजित ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए।
4 अगस्त 2021 को अपना नाम श्रेणी -ए में दर्ज करवाया।
23 जुलाई को स्वीडन से टोक्यो के लिए उड़ान भरने के बाद जेट लेग केप्रभावों और नियमित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के परीक्षण के कारण पर्याप्त नींद लेने में भी काफी कठिनाई आई।
इसके कारण नीरज प्रतियोगिता में अपनी सूची में सिर्फ पर रहे और 86.65 मीटर दूरी तक भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके फाइनल में क्वालीफाई के लिए आगे बढ़े।
दोस्तों नीरज ने 7 अगस्त 2021 को टोक्यो 2020 ओलंपिक में अपने दूसरे प्रयास में 88.58 मीटर दूरी तक भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) करके प्रथम स्थान पर रहकर स्वर्ण पदक जीत कर देश में अपने माता पिता को उसका नाम रोशन किया।
नीरज भारत के प्रथम ओलंपियन है जिन्होंने ओलंपिक एथलीट में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
नीरज के पदक nirmal Om पर कल को कुल 7 पदक जीते हैं जो कि वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में अर्जित शब्दों में भारत के द्वारा अर्जित श्रेष्ठ परिणाम के द्वारा हासिल किया गया है ।
नीरज कहां टोक्यो 2020 ओलंपिक में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के परिणाम स्वरूप नीरज पुरुषों के स्वामी विश्वजीत अनुशासन के लिए दूसरे स्थान पर पहुंचे हैं।
नीरज अभिनव बिंद्रा के बाद व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय भी बन गए हैं।
अभिनव ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता है।
अभिनव ने अपनी जीत का श्रेय मिल्खा सिंह ( पूर्व भारतीय एथलीट )में पीटी उषा को दिया है।
यह दोनों पूर्व भारतीय ओलंपियन है।