बेनीवाल की युवावस्था अधिकतर आंदोलन और राजनीतिक पड़ावों में ही बीती। फिर भी आंदोलन और संघर्षशील राजनीति के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी की। बेनीवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा गंगानगर एवंम पिलानी से की और फिर कॉलेज में पढ़ने के लिए डुंगर कॉलेज, बीकानेर और फिर जोधपुर भी गए। छात्र जीवन से ही कामॅरेड का रूझान संघर्शील राजनीति में था। जिसके चलते इन्होनें पहली बार जेल का सामना अपने कॉलेज के दिनों में किया। किसानों पर अत्याचार और आर्थिक शोषण के चलते बेनीवाल ने किसानों का पक्ष लेना शुरू किया। जिसके चलते फिर से जेल की यात्रा की।
1958 में भाखडा़ का आदोंलन हनुमानगढ़ में लाठी चार्ज हुआ और हेतराम बेनीवाल को भरे बाजार से उठाकर 3 महिनों के लिए जेल में डाल दिया गया।
1969-1970- में भूमी नीलामी के विरूद्ध आंदोलन व हजारों भूमि हीनों को लाखों मुरब्बा जमीनें दिलाई।
1965- में आंदोलनों के चलते 11 महिनों जेल में रहें 1971 व 1975 - इमरजेंसी मेंभी 10 और 19 महीने जेल में रहें। 2002- का भाखडा़ पानी आंदोलन का नेतृत्व किया